शुक्रवार, 29 जनवरी 2010

पुरानी डायरी से......

पुरानी डायरियों के फटे हुए पन्ने, वास्तव मे बीते हुये समय की याद को एकदम से तरोताजा कर देती है.....अब या तो इन फटे, पुराने, सड़े, गले, डायरियों को यू ही फेक देना ....नहीं नहीं ....फेकना ही है ...तो इन्फॉर्मेशन हाइवे के ऊपर ही फेका जाय.....कहते है कि नयी बोतल में पुरानी शराब का मजा कुछ और ही होता हैं, खैर ये तो पीने वाले ही जाने.... मेरा तो काम तो सिर्फ बस परोसना ही है....पिलाना ही है..... और हाँ स्वाद कैसा रहा.....बताना ना भूलिएगा.......